Jaunpur News : शिक्षा मानवीय पुनरूत्थान का आधार: प्रो राकेश यादव

Education is the basis of human resurgence: Prof. Rakesh Yadav

शिक्षण प्रशिक्षण कौशल आधारित बनाया जाय: प्रो. अजय

एक दिवसीय नेशनल सेमिनार में दो पुस्तकों का हुआ विमोचन

जौनपुर। जिला मुख्यालय पर स्थित एक होटल में एक दिवसीय नेशनल सेमिनार  हुआ जिसका मुख्य विषय- विभिन्न स्तर पर शिक्षण अधिगम और शोध में एनईपी 2020 का निहितार्थ, प्रभाव एवं उपयोगिता रहा।

मुख्य अतिथि प्रो. अजय चतुर्वेदी पूर्व प्रोवीसी वीर टिकेंद्रजीत विश्वविद्यालय इंफाल (मणिपुर) सहित अन्य विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुरूआत किया। सेमिनार में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों से 14 शोधकर्ताओं ने प्रत्यक्ष पेपर प्रजेंटेशन दिया। आफलाइन मोड में 76 शिक्षा प्रेमी तथा आनलाइन मोड में सैकड़ों लोगों ने सहभागिता किया।

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मुख्य अतिथि प्रो. अजय चतुर्वेदी ने कहा कि मातृभाषा जिसे पालने की भाषा भी कहते हैं, उसी में प्रारंभिक शिक्षा दिया जाए तभी आने वाली पीढ़ी का भविष्य बेहतर होगा, क्योंकि बच्चे शुरुआत में मां के हाव से सीखते हैं। बच्चे जैसे जैसे बड़े होते हैं, वैसे—वैसे माता पिता, परिवार, पड़ोस आदि के सम्पर्क में आने लगता है। इसके पहले लाल साहब यादव पूर्व एआरपी बख्शा ने   कहा कि यह नेशनल सेमिनार ज्वलंत मुद्दा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर केंद्रित  है।

विशिष्ट अतिथि एनएसएस के पूर्व समन्वयक प्रो. राकेश यादव ने कहा कि भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में शिक्षा ही मानवीय जीवन के पुनरुत्थान का आधार रही है और हैं भी। शिक्षा ऐतिहासिक दृष्टिकोण से देश काल एवं परिस्थितियों के अनुसार करवट बदलती रहती है। 21वीं सदी की मांग है कि अन्तर्राष्ट्रीय भाषा के साथ मातृभाषा, क्षेत्रीय भाषा एवं राष्ट्रीय भाषा को महत्व दिया जाएं। प्राचीन धर्मग्रंथों वेद, पुराण, उपनिषद, शिलालेखों, अन्य साहित्य आदि के व्यावहारिक पहलुओं को जानना आवश्यक है, इसीलिए विशेषज्ञों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में परंपरागत साहित्य को महत्वपूर्ण स्थान दिया है।

पूर्व प्राचार्य एसडीटीटीसी हजारी बाग झारखंड ने कहा कि शिक्षा का शाब्दिक अर्थ सीखना और सीखाना होता है इसके साथ एक और अर्थ यह है कि शिक्षा बालक की जन्मजात शक्तियों को बाहर निकालकर उसे भविष्य के तैयार करती है। असि. प्रो. डॉ. योगेश कुमार ने कहा कि शिक्षा साध्य है साधन नहीं। शिक्षा वास्तव में उपभोग है। यही कारण है कि शिक्षा के विभिन्न अंगों जैसे छात्र, शिक्षक, पाठ्यक्रम, तकनीकी आदि के मूल स्वरूप बदल गया है। वर्तमान शिक्षा बाल केंद्रित है सभी शिक्षकों, अभिभावकों, माता पिता को बच्चों की जन्मजात शक्तियों को बाहर निकालने के लिए कार्य करना चाहिए।

कैप्टन (डॉ.) विजयराज यादव ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 शिक्षकों को सचेत करती है कि वह सब मिलकर शिक्षा के बाजारीकरण को रोकें जिससे गरीब और अमीर के बच्चे एक साथ सामान्य शिक्षा प्राप्त कर सके। शैक्षिक विभेद रोकने में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे प्रो. अजय दूबे एवं डॉ जयकिशन यादव ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर सेमिनार से शिक्षा स्तर में सुधार होता है। सेमिनार का आयोजन डॉ अरविंद यादव प्राचार्य भगवान प्रसाद सिंह मेमोरियल बीएड कॉलेज औरंगाबाद बिहार ने कराया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ बृज बिहारी यादव प्रवक्ता संस्कृत जीआईसी कोडरमा, (झारखंड) ने किया। धन्यवाद ज्ञापन इडुनिक पब्लिकेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर राजकुमार यादव ने किया। इस दौरान दो पुस्तकों बाल्यावस्था एवं उसका विकास तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: समग्र अध्ययन का विमोचन हुआ। अतिथि शैलेश कुमार नायब तहसीलदार आजमगढ़, एनएसएस समन्वयक प्रो. राज बहादुर यादव, दिनेश कुमार, श्रवण कुमार, अवधेश कुमार, डॉ संजय यादव, मस्तराम यादव, मांधाता, भारतेन्दु, मैन बहादुर, शतेन्द्र, अनुराग कुमार, संतोष पाण्डेय, विनय सिंह, प्रिंस शर्मा सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।



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