पूविवि के 5 दिवसीय कार्यशाला का चौथा दिन
सरायख्वाजा, जौनपुर। पूर्वांचल विश्वविद्यालय में आयोजित मोबाइल जर्नलिज्म (मोजो) मीडिया लेखन एवं फोटोग्राफी विषयक 5 दिवसीय कार्यशाला में गुरुवार को विद्यार्थियों को विषय के विविध आयामों से परिचित कराया। कार्यशाला का आयोजन विश्वविद्यालय के जनसंचार एवं पत्रकारिता विभाग ने किया जहां कई विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किया तो विद्यार्थियों ने संवाद किया। प्रख्यात ब्लॉगर, फोटोग्राफी एवं यात्रा लेखिका डॉ. कायनात काजी ने कहा कि आज मोबाइल ने ब्लॉगिंग की दुनिया को बदल दिया है। मोबाइल ब्लॉग के कंटेंट मुख्य धारा की मीडिया में भी चर्चा का विषय बन रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि ट्रेवल ब्लॉगरों ने मोबाइल के माध्यम से डिजिटल मंच पर एक अलग पहचान बना ली है। मोबाइल से ब्लॉगिंग कंटेंट क्रिएटर्स के लिए नया ट्रेंड बन गया है। साथ ही बहुत सारे लोग अपने घरों से ही मोबाइल के माध्यम से वीडियो ब्लॉगिंग कर स्टार बन गये हैं। फोटोग्राफी और कंटेंट लेखन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रभावी लेखन के लिए पुराने साहित्य का अध्ययन आवश्यक है। इससे भाषा की समझ विकसित होती है और लेखन में गहराई आती है। साथ ही वाक्य का फ्लो भी बना रहता है। इस बात पर जोर दिया कि कंटेंट लेखन केवल जानकारी देने का माध्यम नहीं है, बल्कि इसे रोचक और पठनीय बनाना भी जरूरी है।
डॉ. काजी के अनुसार कंटेंट लेखन में भाषा की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। डिजिटल युग में कई लेखक केवल अपने सब्सक्राइबर बढ़ाने के लिए काम करते हैं। कंटेंट पर ध्यान नहीं केंद्रित करते। अच्छे कंटेंट की फोटो, वीडियो और टेक्स्ट का सामन्जस्य और टाइमिंग जरूरी है। फोटोग्राफी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यात्रा लेखन के लिए अच्छी तस्वीर लेना भी आवश्यक है, क्योंकि लेख को अधिक प्रभावशाली और आकर्षक बनाती हैं। दृश्य सामग्री के माध्यम से पाठक विषय से बेहतर तरीके से जुड़ सकते हैं। डॉ. काजी ने विद्यार्थियों को सलाहदी कि वे न केवल नियमित रूप से पढ़ें, बल्कि अपने लेखन कौशल को भी निखारते रहें, जिससे वे अपने पाठकों तक प्रभावी ढंग से पहुंच सकें। उन्होंने डिजिटल युग में ब्लॉगिंग, कंटेंट राइटिंग और सोशल मीडिया की बढ़ती भूमिका पर भी प्रकाश डालते हुये छात्रों को इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के शिक्षक डॉ. रवि सूर्यवंशी ने मोबाइल पत्रकारिता में उपयोग हो रही तकनीक पर विस्तार से चर्चा करते हुये गिंबल, ट्राइपॉड, माइक और मोबाइल मूवमेंट पर प्रकाश डालते हुये कहा कि आज मोबाइल के माध्यम से टेलीविजन, वेब, समाचार पत्रों और रेडियो में सामग्रियों का संकलन हो रहा है। दर्शकों पर प्रभाव डालने के लिए कैमरा एंगल बहुत महत्वपूर्णहै। शोले फिल्म का उदाहरण देते हुए गब्बर को लो एंगल से अधिक पावरफुल होने के लिए दिखाया जाता था।
जयपुर के वरिष्ठ पत्रकार संतोष पाण्डेय ने मोजो के लिये मोबाइल, माइक, ट्राइपॉड, लाइट (एमएमटीएल) पर चर्चा करते हुये कहा कि इन चारों से मोजो सम्भव है। उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्टिंग के लिए हैशटैग के महत्व पर विचार से चर्चा करते हुये कहा कि संबंधित हैशटैग के प्रयोग से अपने कंटेंट की अधिक व्यूवरशिप बनाई जा सकती है। उन्होंने वीडियो बनाने, एडिटिंग करने, अपलोड करने और उसे शेयर करने की विधि पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. कायनात क़ाज़ी ने प्रो. मनोज मिश्र को अपनी पुस्तक बोधगया के बिहार भेंट किया। कार्यशाला में अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. मनोज मिश्र, संचालन डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. सुनील कुमार ने किया। इस अवसर पर प्रो. अजय प्रताप सिंह, प्रो. प्रदीप कुमार, डॉ. चंदन सिंह, सुधाकर शुक्ला, डॉ. अमित मिश्रा, डॉ सुरेंद्र कुमार, अर्पित यादव सहित तमाम लोग मौजूद रहे।