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साध्य और असाध्य बिमारियों में आहार और प्राणायामों के अभ्यासों में संतुलन स्थापित करके अनेकों समस्याओं का समाधान जड़ से किया जा सकता है। किसी भी स्तर के शारीरिक और मानसिक समस्याओं के समाधान में ध्यान और प्राणायामों का नियमित अभ्यास अत्यधिक प्रभावी होता है इसलिए प्राणायामों का अभ्यास सतही तौर पर न करके विधिपूर्वक लम्बे समय तक किया जाना चाहिए।
शारीरिक श्रम के अभाव में दूषित आहार और अनियंत्रित जीवनशैली के कुप्रभावों से अधिकांश लोगों में अनेकों समस्याएं निरन्तर बढ़ती जा रही हैं। आसनों के साथ ध्यान, व्यायाम और प्राणायामों का संतुलित अभ्यास ही ऐसे समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। श्री हरीमूर्ति के द्वारा इंटिग्रेटेड योगाभ्यास को कराया जा रहा है जिसमें किसी विशेष आसन में लम्बे समय तक प्राणायामों का अभ्यास कराया जाता है।
मण्डूक,गोमुख और उष्ट्रासनों में जब भी लम्बे समय तक कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास किया जाता है तो किसी भी तरह की डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल,फैटी लीवर, पाचनतंत्र, मोटापा और गैस एसिडिटी जैसी अनगिनत समस्याओं के समाधान में अद्भुत लाभ होता है। इसी तरह से जब सूर्य-नमस्कार के साथ ही कपालभाति प्राणायाम का अभ्यास अधिक समय तक होता है तो उसका किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बहुत ही सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सर्वाइकल, स्पोंडलाइटिस, कमर, रीढ़ की हड्डी जैसी समस्याओं से लेकर छोटी बड़ी सभी समस्याओं के समाधान लोगों में होता हुआ नज़र आ रहा है। इस मौके पर योग संस्थान के अध्यक्ष राघवेन्द्र प्रताप सिंह, योग गुरु ओम प्रकाश चौबे, शिवकुमार यादव,शिवनारायण तिवारी, मायाराम यादव, अभिमन्यु, दीपचंद, विरेन्द्र कुमार, योगेन्द्र कुमार,जय प्रकाश, चन्द्रजीत, मोनू यदुवंशी, संतोष कुमार, सुदीप गुप्ता, विजय अग्रहरि सहित अन्य लोग मौजूद रहे।