नया सबेरा नेटवर्क
मां है तो समझो रब है
मां के बिन सूना सब है।
मां ही प्रेम हुलास वही है
इस जीवन की आस वही है।
इस जीवन की आस वही है
अपना तो विश्वास वही है।
मां के बिन कुछ संभव कब है
मां है तो समझो रब है।इस
जीवन का सार वही है
अपना तो श्रृंगार वही है।
सच्चाई से बढ़ने को
करती तैयार वही है।
झंझा-झकोर से लड़ने
को करती तैयार वही है।
अपना तो संसार वही है
इस जीवन का सार वही है।
मात-पिता का आदर कर लो
सब खुशियों से घर भर लो।
मानों इक बात मेरी
मात-पिता की सेवा कर लो
मात-पिता की सेवा कर लो।
स्वरचित (मौलिक)
डॉ मधु पाठक
हिन्दी विभाग
राजा श्रीकृष्ण दत्त
स्नातकोत्तर महाविद्यालय
जौनपुर, उत्तर प्रदेश।
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