प्रवासी मजदूरों की बेबसी बयां करती त्रासदी - मजदूरों की मजबूरी - फिर गांव वापसी जरूरी | #NayaSaberaNetwork

प्रवासी मजदूरों की बेबसी बयां करती त्रासदी - मजदूरों की मजबूरी - फिर गांव वापसी जरूरी | #NayaSaberaNetwork


नया सबेरा नेटवर्क
कोरोना की दूसरी लहर और लॉकडाउन से असमंजस में वापसी को मजबूर हैं प्रवासी मजदूर - एड किशन भावनानी
गोंदिया - भारत में पिछले वर्ष हमने प्रवासी मजदूरों के विशाल तादाद ने अपने गांव की ओर लौटने का मंजर पैदल साइकल, दो पहिया वाहन वाहन, ट्रक, बस के रूप में देखा था।और उनकी बेबसी, त्रासदी अनेक मजबूरियां, मजदूरों की मृत्यु हमने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से पूर्ण लॉकडाउन में देखी थी। वह मंजर भूले नहीं हैं, लेकिन बड़े दुख की बात है कि एक बार फिर प्रवासी मजदूरों की बेबसी बयान करती त्रासदी, मजदूरों की बेबसी, पूर्ण लॉकडाउन का भय, ट्रेनों के बंद होने का भय, बड़ी तेजी के साथ प्रवासी मजदूरों में आज फैल रहा है। क्योंकि अनेक नगरों, कुछ राज्योंमें आंशिक लॉकडाउन पूर्ण लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू और महाराष्ट्र में ब्रेक द चयन के रूप में एक तरह का लॉकडाउन और कर्फ्यू 1 मई सुबह 7 बजे तक लगाया गया है। हालांकि करीब करीब सभी राज्यों में औद्योगिक तथा अन्य जरूरी सेवाओं को छूट दी गई है परंतु फिर भी प्रवासी मजदूरों में एक डर का माहौल पैदा हो गया है जो हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से छत्रपति शिवाजी टर्मिनल मुंबई के बाहर प्रवासी मजदूरों की भारी तादाद में भीड़ दिखाई जा रही है, के माध्यम से देख रहे हैं।कई लोगों के पास टिकट है और कई लोगों के पास रिजर्वेशन टिकट भी नहीं है। हालांकि रेलवे मंत्रालय के अधिकारी बार-बार यह घोषणा करवा रहे हैं कि ट्रेनें बंद नहीं होगी और सभी का ध्यान रखा जाएगा गुरुवार दिनांक 15 अप्रैल 2021 को एक इलेक्ट्रॉनिक चैनल पर दिखाया गया के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर रेलवे प्रशासन द्वारा रस्सियां लगाई गई है जहां एक और कंफर्म टिकट वाले और दूसरी ओर बिना रिजर्वेशन टिकट वाले यात्रियों को रखा गया है इस तरह का प्रबंधन किया गया है।...उधर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री महोदय ने मंगलवार दिनांक 13 अप्रैल 2021 के अपने ब्रेक थे चैन आदेश लागू करते समय उद्योगों को खोलने की छूट तथा मजदूरों, रिक्शा वालों, रेहड़ी पटरी वालों इत्यादि को राहत राशि देने की घोषणा भी की है उनको 3 किलो गेहूं और 2 किलो चावल भी अगले 1 माह तक राशन कार्ड धारकों को  मुफ्त देने की घोषणा की थी तथा आदिवासी कुटुंब को राहत राशि देने की भी घोषणा सहित राहत पैकेज की घोषणा की थी।...उधर केंद्रीय उपभोक्ता व खाद्य मंत्रालय ने सभी राज्यों के प्रमुखों को पत्र लिखकर आगाह किया है कि राशन की सप्लाई निरंतर शुरू रहे बाधित ना हो और कीमतें न बढ़ने पाए इसकी विशेष निगरानी रखी जाए परंतु ऐसा महसूस किया जा रहा है कि प्रवासी मजदूरों को शासन के आश्वासनों पर भरोसा नहीं है और चैनल द्वारा दिखाई ग्राउंड रिपोर्टिंग के अनुसार प्रवासी मजदूरों को अनेक मालिकों ने नौकरी से निकाल दिया है। सीएसटी स्टेशन के बाहर ऐसा प्रवासी मजदूरों से बात करते हुए दिखाया जा रहा है कि वहां लाइनों में भीड़ भरा माहौल है और सभी को अपने अपने गांव वापस जाने की जल्दी है और पूर्ण लॉकडाउन लगने का डर लग रहा है। उनके पास रोजगार और खाने पीने की सुविधा अब उपलब्ध नहीं है जिसके कारण वे गांव वापस जाना चाहते हैं। हालांकि महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले साल सरीखा मंजर अभी नहीं है ट्रेनें, बस, वाहन सब चालू हैं और प्रवासी मजदूरों को अपने अपने गांव जाने का साधन मुहैया है। मीडिया ने लखनऊ के स्टेशनों के बाहर भी अपने गांव और आसपास जाने वाले कामगारों मजदूरों की भीड़ भरा माहौल भी दिखाया जा रहा है और अन्य नगरों की स्टेशनों पर ट्रेनों में भी खचाखच भरे इन डब्बों को दिखाया जा रहा है वहां मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग इत्यादि दिशा निर्देशों का बिल्कुल पालन नहीं हो रहा है।... बात अगर हम कोरोना संक्रमण फैलने की करें तो स्वाभाविक रूप से एक शहर या राज्य से दूसरे शहर या राज्य में माइग्रेट होने से स्वाभाविक रूप से महामारी के संक्रमण का फैलना निश्चित है। हालांकि बहुत रेलवे स्टेशनों पर ही मुंबई या अन्य नगरों से आने वाले प्रवासियों की कोरोना टेस्ट की जा रही है तथा क्वॉरेंटाइन भी किया जा रहा है और उचित प्रबंधन व व्यवस्था का संचालन हर राज्य प्रशासन कर रहा है क्योंकि कोई भी शासन- प्रशासन नागरिकों की दुर्गति नहीं चाहेगा। परंतु कुछ माहौल या अफवाहों से भी कोरोना चैन तोड़ने में कठिनाई हो रही है सभी नागरिकों, प्रवासी मजदूरों, स्टाफ व सभी संबंधित लोगों को चाहिए कि अफवाहों पर ध्यान न देकर शासकीय दिशानिर्देशों का पालन कर शासन प्रशासन को सहयोग करें, कोरोना वॉरियर्स को सहयोग करें और टीकाकरण अभी जिस स्तर वालों को लग रहा है उसका सव प्रतिशत टीकाकरण का टारगेट पूरा करने में सहयोग करें तो हम सब मिलकर कोरोना चैन को तोड़ने में जरुर सफल होंगे।
-संकलनकर्ता लेखक-कर विशेषज्ञ एडवोकेट किशन सनमुख दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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