अमिताभ से आफ़ताब तक... | #NayaSaberaNetwork

छायावाद के प्रखर कवियों में से एक पं0 सुमित्रानन्दन पंत ने जब 11 अक्टूबर, 1942 को तब के इलाहाबाद (आज के प्रयागराज) में ‘हालावाद’ के प्रवर्तक एवं ‘मधुशाला’ से देश में बेहद चर्चित हो चुके ओजस्वी कवि श्री हरिवंश राय बच्चन एवं तेजी बच्चन के घर पैदा हुए बालक का नाम जब ‘अमिताभ’ रखा होगा, तब उन्हें भी उस समय इतना भान नहीं रहा होगा कि ये बालक अमिताभ कल भूमण्डल का ‘आफ़ताब’ होगा।

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        खै़र..........पूत के पाँव पालने में ही दिखाई जरूर पड़े होंगे, तभी पन्त जैसे प्रकृतवादी कवि के पांडित्य ने बालक का नामकरण ‘अमिताभ’ के रूप में किया होगा। वर्षों से अब-तक, अब इस बात का रंच-मात्र भी संदेह नहीं रह गया है कि ‘अमिताभ’ ने अपने काम और अपनी प्रतिभा के बलबूते सूरज को भी दीया न दिखा दिया हो और अपनी ‘आभा’ से पूरे देश को ही नहीं, अपितु पूरी धरा को ही ‘आभामय’ न बना दिया हो।

         आज उन्हीं अमिताभ जी के जन्म की 78वीं वर्षगांठ है, जिसे समाज के विभिन्न वर्ग के लोग अपने-अपने ढंग से मनाते हुए उनकी उपलब्धियों का लेखा-जोखा करते हुए उनका गुणगान कर रहे हैं और उन्हें अपनी जिंदगी के साथ किसी-न-किसी रूप में जोड़े रखकर प्रफुल्लित एवं आनन्दित हो रहे हैं।

       अमिताभ जी की उपलब्धियों, उनके व्यक्तित्व एवं उनके कृतित्व रूपी वृतान्त को चन्द शब्दों एवं कुछ लाइनों में उसी तरह नहीं पिरोया जा सकता, जैसे खुशबू और हवा को साधारणतया नहीं बांधा जा सकता। अमिताभ जी की यश-पताका केवल कश्मीर से कन्याकुमारी एवं कच्छ से बंगाल की खाड़ी तक ही नहीं है, बल्कि उनकी कीर्ति, उनका अभिनय, उनकी प्रतिभा, उनका यश देश की सीमा के बाहर कई महाद्वीपों एवं हाॅलीवुड तक में अपनी खुशबू बिखेर रही है।

        ये सदी के महानायक ही नहीं, बल्कि करोड़ों-करोड़ इन्सानों के दिलों में बसने वाले एक ‘भाव’ हैं, एक ‘तरंग’ हैं, एक ‘जादू’ हैं, एक ‘राग’ हैं, एक ‘संगीत’ हैं, एक ‘स्वर’ हैं, एक ‘आवाज़’ हैं, एक ‘ढाप’ हैं और फिर अन्त में एक अद्भुत कलाकार के रूप में ‘अमिताभ’ हैं, जो हमारी सांसों में, हमारी धड़कनों में, हमारी रूहों में, एक ‘सितारे’ के रूप में विचरण करते रहते हैं।........अमिताभ जी को इन्हीं भावों एवं शब्दों के साथ जन्म दिन की ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनायें........और इस बात की भी बधाई कि उनका सफ़र यूँ ही गतिमान रहे........क्षितिज के उस पार तक.......आफ़ताब के उस उजले सुनहरे संसार तक.....जहाँ कोई ‘तम’ नहीं, जहाँ कोई ‘हम’ नहीं।

    अन्त में, अभी-अभी याद आया कि एक्ट्रेस रेखा जी का जन्म दिन भी 10 अक्टूबर को मनाया जाता है। 10 को रेखा जी का और 11 को अमिताभ जी का.........यह भी एक सुयोग ही है, जो दोनों को एक-दूसरे से जोड़ता है तथा एक-दूसरे से एक-दूसरे को अलग भी करता है। अमित-रेखा की इसी ‘केमेस्ट्रिी’ पर हम जैसे जाने कितने उनके प्रशंसक ‘अनुसंधान’ कर रहे हैं, जैसा कि यश चोपड़ा ने ‘सिलसिला’ में किया था। देर से ही सही रेखा जी को भी अमित जी के साथ ही उनके जन्म दिन की बहुत-बहुत बधाई।

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