- समकालीन समय में गांधी की पत्रकारिता की प्रासंगिकता विषयक राष्ट्रीय वेबिनार का हुआ आयोजन
जौनपुर। जनसंचार की प्रख्यात शोध पत्रिका कम्युनिकेशन टुडे के तत्वावधान में आयोजित समकालीन समय में गांधी की पत्रकारिता की प्रासंगिकता विषयक राष्ट्रीय वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के अध्यक्ष डॉ. मनोज मिश्र ने कहा कि महात्मा गांधी ने जो जिया वही कहा और वही लिखा। वे स्वयं में दर्शन थे लेकिन उन्होंने कभी अपने आप को दार्शनिक नहीं माना। उनका व्यक्तित्व इतना चुम्बकीय था कि लोग उनसे सहज ही जुड़ जाया करते थे। गांधी जी ने समाचार पत्रों के जिन तीन उद्देश्यों की व्याख्या की वे सर्वकालिक हैं।
उन्होंने पत्रकारिता के शाश्वत स्थाई मूल्यों सत्य, अन्याय का विरोध, सामाजिक सरोकार, राष्ट्रप्रेम और जनकल्याण का सदा प्रतिपादन किया। उन्होंने आज की युवा पीढ़ी से अपील की कि गांधी जी के विचारों और उनके जनसामान्य के प्रति भाव को आत्मसात कर अपना भविष्य मङ्गलमय करें। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में भी उनके द्वारा बताए गए सत्य और अहिंसा के सूत्र से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।
इस वेबिनार में आल इंडिया रेडियो पटना की समाचार संपादक डॉ. सविता पारीक ने कहा कि महात्मा गाँधी की पत्रकारिता में जनसेवा निहित थी। उन्होंने पत्रकारिता में सदैव जनहित को सर्वोपरि रखा।
विशिष्ट वक्ता फ़क़ीर मोहन विश्वविद्यालय उड़ीसा में जनसंचार विभाग की असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ. स्मिति पाढ़ी ने कहा कि महात्मा ग़ांधी के पास समाज के हर वर्ग से संचार करने की कला थी। उन्होंने इसी संचार कौशल से समाज के अंतिम व्यक्ति को अपने से जोड़ लिया था। वह अपने जीवन में सदा कौशल का सार्थक प्रयोग करते रहे।
आयोजन सचिव एवं राजकीय पीजी कालेज मेरठ में अंग्रेजी विभाग की असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ. उषा साहनी ने सरस्वती वंदना और अतिथियों के स्वागत से वेबिनार की शुरुआत की। वेबिनार संयोजक तथा सेंटर फॉर मास कम्युनिकेशन राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. संजीव भानावत ने विषय प्रवर्तन किया। वेबिनार में देश के विभिन्न क्षेत्रों से जनसंचार विभाग के शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी शामिल रहे।
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