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मंदिर का इतिहास:
सई नदी के उत्तरी तट पर स्थित ऐतिहासिक करशूल नाथ महादेव का मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था और विश्वास का केंद्र बन है। मंदिर में भूगर्भ से निकला शिवलिंग स्थापित है। पुरातात्विक महत्व के इस मंदिर के निर्माण के संबंध में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। शताब्दियों पूर्व भर राज में मिर्जापुर के एक व्यापारी ने यहां रात्रि निवास के दौरान स्वप्न में शिवजी के दर्शन के पश्चात जंगल में खोज किया तो फिर स्व निर्मित विशाल शिवलिंग मिला। उसकी खुदाई कराकर अन्यत्र स्थापित कराना चाहा तो फिर शिवलिंग का अंत न मिलने पर उसी स्थल पर चूना पत्थर से एक विशाल भव्य शिव मंदिर का निर्माण कराया। तब से आज तक यह मंदिर लोगों के आस्था और विश्वास का केंद्र बना हुआ है। श्रावण, मलमास एवं महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों का रेला उमड़ता है।
कैसे पहुंचे
जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर महराजगंज क्षेत्र में स्थित है। महाराजगंज, बक्सा, बदलापुर से सुभाष चौक होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है। यह सुभाष चौक से लगभग चार किलोमीटर दूर स्थित है। इसी प्रकार मछली शहर सिकरारा से बरईपार चौराहे होते हुए यहां आने के लिए प्राइवेट बस व जीप मिलते हैं।
मंदिर के दक्षिण स्थित कूप में लगे शिलालेख कर मंदिर निर्माण संबंधी अभिलेख मौजूद है। लेकिन आज तक कोई इसे पढ़ नहीं सका। ऐसे में इस मंदिर के प्राचीन निर्माण काल की जानकारी नहीं हो सकी। सावन मास के पर्व पर मंदिर का पट आरती के बाद ब्रह्मबेला में खुल जाता है। मंदिर परिसर में साफ-सफाई का काम चल रहा है। मेला के दौरान यहां भारी भीड़ होती है।
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