टीम जौनपुर लाइव
जौनपुर। सखी बदला है कैसा गांव रे.. आया चुनाव रे हा...कि अब की दिल्ली भी डाले पड़ाव रे... आया चुनाव रे हा... फिल्म बंदूक के गीत की यह पंक्तियां चुनाव में चरितार्थ होने लगता है क्योंकि एक से एक राजनेता दिल्ली से लेकर यूपी तक सब गांवों और हर उन छोटे-छोटे शहरों की ओर रुख करते है जहां से उनका कुछ लाभ हो सके। बहरहाल नौ विधानसभाओं और दो लोकसभाओं वाली सीट इन दिनों चर्चा में आ गयी है। वैसे भी जब यूपी में चुनाव हो और जौनपुर की बात न हो तो यह बेमानी होगी। यहां पर ऐसे ऐसे चेहरे है जो सीधे शीर्ष नेतृत्व के टच में रहते है। जौनपुर का पड़ोसी जनपद वाराणसी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है तो वहीं आजमगढ़ समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं संरक्षक मुलायम सिंह यादव का संसदीय क्षेत्र है लेकिन इस बार इस सीट पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव अपना भाग्य आजमाने उतरेंगे तो वहीं इस सीट को वीआईपी बनाने में यादव परिवार भी जुगत में लग गया। सबकुछ ठीक रहा तो मुलायम सिंह यादव के पोते तेज प्रताप यादव जौनपुर से चुनाव लड़ेंगे और वह मैदान में उतरें तो यादव परिवार यह सीट को अपने कब्जे में करने पूरी कोशिश करेगा और जौनपुर के सपा के नेता पूरी एड़ी चोटी लगा देंगे तो वहीं कुछ लोग अंदर ही अंदर विरोध भी कर सकते है।
तेज प्रताप यादव की बात करें तो वर्तमान समय में वह मैनपुरी से सांसद हैं। मोदी लहर में भी मुलायम सिंह यादव 2014 के लोकसभा चुनाव में मैनपुरी और आजमगढ़ दोनों सीटों से चुनाव लड़ा था और दोनों जगहों से जीते थे। इसके बाद उन्होंने अपनी पारंपरिक सीट मैनपुरी से अपने पोते तेज प्रताप यादव को चुनाव लड़ाया। तेजप्रताप ने भी अपने दादा को निराश नहीं किया और बंपर वोटों से चुनाव में जीत हासिल की। वह इंग्लैंड की लीड्स यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट साइंस में एमएससी किये है। इतना ही नहीं वह सक्रिय राजनीति में उतरने वाले मुलायम सिंह के परिवार की तीसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं। तेजप्रताप सिंह यादव उर्फ तेजू मुलायम के बड़े भाई रतन सिंह के बेटे रणवीर सिंह के बेटे है। मुलायम सिंह यादव के परिवार से होने के साथ ही वह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने भतीजे को मैदान में उतारने के मुद्दे पर बसपा अध्यक्ष मायावती से बात की है। सूत्र बताते हैं कि मायावती ने भी जौनपुर सीट सपा को देकर इसके बदले में महाराजगंज सीट लेने की बात कही है। यदि यह समझौता हो गया तो जौनपुर की सीट की गिनती वीआईपी सीटों में की जाने लगेगी। वहीं समाजवादी पार्टी के नेताओं, पदाधिकारियों में भी इसको लेकर उत्साह नजर आ रही है। वहीं तहखाने की खबर को मानें तो जौनपुर के कुछ दिग्गज नहीं चाहते कि वह इस सीट पर चुनाव लड़ें क्योंकि यदि वह जीत गये तो सपा हमेशा के लिए इस सीट को अपने पास रख लेगी। बहरहाल जो भी हो जौनपुर की जनता एक बार वीआईपी के नाम पर पहले ही ठगी जा चुकी है हालांकि वह सदर विधानसभा की सीट थी नाम तो आप जानते ही होंगे।
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