टीम जौनपुर लाइव
जौनपुर। लोकसभा चुनाव 2019 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने आखिरकार खूब मंथन करने के बाद एक बार फिर से जौनपुर से सीटिंग एमपी डा. केपी सिंह को अपना प्रत्याशी घोषित कर ही दिया। पार्टी के अंदर ही कुछ लोग डा. केपी सिंह का विरोध भी कर रहे थे और उनके टिकट काटे जाने की झूठी खबरें भी प्रसारित कर चुके है। बहरहाल सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए पार्टी ने एक बार फिर अपने सांसद पर विश्वास जताते हुए उन्हें मैदान में उतार दिया। डा. केपी सिंह को टिकट दिये जाने उनके समर्थकों में हर्ष व्याप्त है।
गौरतलब हो कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कई दिनों से इस सीट को लेकर मंथन कर रहा था। इस दौरान कुछ असित्वविहीन लोग फर्जी सूत्रों के हवाले से अपने-अपने फेसबुक, व्हाट्सएप और सोशल मीडिया पर ऐसे-ऐसे लोगों को प्रत्याशी बनाये जाने का हवाला दे रहे थे जो वास्तव में किसी वार्ड से सभासदी भी नहीं जीत सकते। साथ ही इन अटकलों पर भी विराम लग गया जिसमें यह कहा जा रहा था कि भाजपा अपने किसी सहयोगी दल को यहां की सीट दे देगी। जब सहयोगी दल की बात आती थी तो लोग पूर्व सांसद धनंजय सिंह का नाम लेते थे कि वह मैदान में उतर सकते है। इसी बीच निषाद पार्टी के भाजपा में विलय होने पर भी इस बात हवा दी गयी कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह ही इस सीट से प्रत्याशी बनाये जाएंगे। शीर्ष नेतृत्व ने लंबे समय तक इस सीट को लेकर गहन चिंतन, मंथन करने के बाद अपने सीटिंग एमपी को ही मैदान में उतारना उचित समझा। इस निर्णय के बाद से न सिर्फ पार्टी के सभी विधायक, वरिष्ठ नेताओं में खुशी है बल्कि सभी लोग एकजुट होकर जनता से एक बार फिर से केपी सिंह को संसद में भेजने की अपील करेंगे।
डा. केपी सिंह को ही क्यों बनाया गया प्रत्याशी
अब सवाल यह उठता है कि आखिर सीटिंग एमपी डा. केपी सिंह को ही प्रत्याशी क्यों बनाया गया? इस सवाल पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कुछ बुद्धिजीवी वर्ग की बात मानें तो डा. केपी सिंह शांत स्वभाव, सरल व्यक्तित्व के धनी है। आम आदमी उनसे बड़े आराम से मिलकर अपनी बात कहता है और डा. सिंह उसकी बातों को सुनने के बाद हरसंभव मदद भी करते है। साथ ही पांच साल के कार्यकाल में उनका किसी से कोई विवाद भी नहीं रहा। साथ ही पाँच सालों में मछलीशहर सांसद के अपेक्षा यह अपने क्षेत्र में ज्यादा दिखे, हरसंभव कार्य किया और पार्टी के अधिकतर कार्यक्रमों में इनकी सहभागिता भी देखने को मिलती रही। इन सभी पहलूओं को भी ध्यान में रखते हुए आलाकमान ने इन पर पुन: दांव लगाना उचित समझा।
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