- दर्जन भर दावेदारों के चलते फंसा है दांव पेच
सुहैल असगर खान
जौनपुर। चारों तरफ गर्मजोशी का माहौल है कार्यकर्ताओं का उत्साह उफान पर पूरे जोश खरोश के साथ लोग स्वागत की तैयारियों में है या यूं कहें बारात सज चुकी है इंतजार है तो सिर्फ दूल्हे का। हर कोई उतावला है कि दूल्हा कौन है, जिसकी बारात जानी है लेकिन इंतजार है कि खत्म नहीं हो रहा। हालत यह हैं कि सिर्फ दूल्हे के आने की अफवाहों तक मामला सीमित है जी हां बात हो रही है। लोक पर्व की जहां हालत यह हैं कि तारीख घोषित हुये एक माह गुजर जाने के बाद भी किसी भी पार्टी द्वारा प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया जिसे देखते हुए यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि बाराती तो पूरी तरह तैयार हैं इंतजार है तो बस दूल्हे का।
गौरतलब हो कि लोकसभा चुनाव के लिये लगभग एक माह पूर्व चुनाव की घोषणा हो चुकी है इतना ही नहीं कई सीटों पर चुनाव प्रचार थम चुका है और चुनाव भी सम्पन्न हो रहा है लेकिन जिले की हालत यह हैं कि ले-देकर चुनाव सम्पन्न होने में सिर्फ एक माह का समय बचा है किसी भी राजनैतिक दल ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है या यूं कहा जाये के मामला हवा-हवाई है और चुनाव अफवाहों चर्चाओं और कार्यकर्ताओं की जुबानी जंग तक सीमित है। हालांकि गठबंधन ने थोड़ी तेजी दिखाई और टी राम को मैदान में उतार दिया जिसे देखते हुए भाजपा ने भी अपना पत्ता खोल दिया और बीपी सरोज के रुप में प्रत्याशी उतार दिया लेकिन कांग्रेसी खेमे में अभी जूं नहीं रेंग रही लेकिन सदर लोकसभा सीट का हाल अभी भी जस का तस बना हुआ है। यहां किसी भी पार्टी ने अब तक अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है।
बतातें चले कि जिले में कुल दो लोकसभा सीटें है जिन पर 12 मई को चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न होनी है देखा जाये तो पिछले लोकसभा चुनाव मे बीजेपी ने दोनो ही सीटें अपनी झोली में डालने में कामयाबी हासिल की थी लेकिन इस बार अभी तक प्रत्याशी का चयन नहीं हो पाया जबकि चुनाव में एक माह शेष है इस प्रक्रिया में बीजेपी अकेली नहीं है चाहे वह राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी हो या सपा-बसपा गठबंधन जानकारों की मानें तो सभी पार्टियों में प्रत्याशियों को लेकर घमासान मचा हुआ है इसकी वजह भी साफ है सभी पार्टियों में जहां दर्जन भर दावेदार हैं वहीं कुछ कद्दावर अपनी साख बचाने के अड़े हुए है जिसके चलते पार्टी आलाकमानों को निर्णय लेने में दुश्वारी का सामना करना पड़ रहा है। इधर मतदाताओं मे भी ऊहापोह की स्थिति है हर दावेदार के समर्थक अपने-अपने चहेतों को टिकट मिलने का दावा करते फिर रहे है जिससे सियासी माहौल की गर्मी बरकरार है। अब देखना यह है कि पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशी रुपी दूल्हे को कब तक बारात सजाने के लिये भेजती हैं।
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