टीम जौनपुर लाइव
यूसुफ खान
जौनपुर। एनएसयूआई के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व वर्तमान में काग्रेस अल्पसंख्यक सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष नदीम जावेद अपने ऊर्जा के बल पर देश स्तर पर संगठन के काम के बदौलत लोहा मनवाया है। पूर्वी प्रदेश के प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा अपने पूर्वांचल दौरे के दौरान नदीम जावेद के साथ कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की। वहीं जौनपुर में पार्टी के संगठनात्मक ढांचा कमजोर के चलते पार्टी के दिग्ग्ज नेता चुनाव लड़ने से बच रहे है। पिछले चुनाव में काग्रेस ने भोजपुरी स्टार को दांव पर लगाया था लेकिन सम्मानजनक हार के बजाए आम आदमी के प्रत्याशी से भी पीछे रहे। दरअसल इस लोकसभा में पांच विधानसभा सीट आती है। जिसमें से दो पर बीजेपी, दो पर एसपी और एक सीट पर बीएसपी का कब्जा है। यहां से कृष्ण प्रताप सिंह मौजूदा सांसद है।
पिछले कई लोकसभा चुनावों से यह सीट ऐसी रही है कि यहां जीत के लिए बीजेपी और कांग्रेस को अच्छा-खासा संघर्ष करना पड़ता है। 2019 में सपा और बसपा के गठबंधन के चलते यह सीट बसपा को दे दी गयी है। पारसनाथ यादव समाजवादी पार्टी ऐसे नेता रहे हैं, जो लगातार कई बार से लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। वह दो बार जौनपुर से सांसद भी रह चुके हैं और वर्तमान में मलहनी विधानसभा सीट से एसपी के ही विधायक भी हैं।एक कार्यक्रम के दौरान सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने जौनपुर से टिकट भी घोषणा भी कर दी थी। ये दीगर बात है उनकी एक नहीं चली।राजनीतिक समीकरण का जायज़ा लिया जाए तो 2014 के चुनाव में बीएसपी ही दूसरे नंबर पर रही थी और हार-जीत का अंतर लगभग डेढ़ लाख वोटों का था। यहीं एसपी के पारसनाथ यादव को एक लाख 80 हजार वोट मिले थे। ऐसी स्थिति में अगर एसपी-बीएसपी के वोट मिल जाते हैं तो गठबंधन के लिए बात बन सकती है। 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीएसपी के सुभाष पांडेय बीजेपी के कृष्ण प्रताप उर्फ केपी से 1,46,310 वोटों से हार गए थे। सबसे रोचक बात है कि 1984 के चुनाव के बाद कांग्रेस यहां से कभी लोकसभा का चुनाव नहीं जीत पाई है। 2014 में बॉलीवुड और भोजपुरी स्टार रविकिशन कांग्रेस के टिकट पर चुनाव में उतरे थे लेकिन उन्हें आम आदमी पार्टी से भी कम वोट मिले और वह छठें स्थान पर रहे थे जबकि तीन दशक के बाद 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का झण्डा बुलन्द करने वाले नदीम जावेद का टिकट काटकर शीर्ष नेतृत्व ने रवि किशन को टिकट दिया था। अभी तक जौनपुर में बीजेपी, बीएसपी और एसपी में त्रिकोणीय मुकाबला होता रहा है, ऐसे में गठबंधन बनने के बाद बीजेपी की राह मुश्किल हो सकती है।
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