...तो गठबंधन ही तय करेगा बीजेपी का प्रत्याशी?

नवनीत मिश्र के फेसबुक वॉल से
जौनपुर में गठबंधन से अगर तेज़ प्रताप या कोई भी "यादव" प्रत्याशी आया तो फिर बीजेपी सदर विधायक और मंत्री गिरीश यादव को उतार सकती हैआजमगढ़ की तरह ही बीजेपी Y के मुक़ाबले Y कार्ड खेल कर गठबंधन की चाल रोकने का दांव खेल सकती है। गठबंधन से किसी दूसरी जाति का कंडीडेट आने पर भी बीजेपी यादव वोट झटककर गठबंधन को बेअसर करने ख़ातिर  गिरीश यादव का चेहरा आगे ला सकती है।

बाकी टिकट की रेस मे सिटिंग एमपी केपी सिंह ही नंबर वन चल रहे हैं। जौनपुर के ज़्यादातर पार्टी विधायकों को उनके नाम पर एतराज नहीं है। वजह है कि फिलहाल किसी तरह की विवादित छवि नहीं हैं। एक संभ्रांत और जौनपुर को टीडी कॉलेज जैसा संस्थान देने वाले परिवार  से हैं। परिवार की सकारात्मक पहचान है। केपी का टिकट ख़तरे में पड़ने को लेकर हालिया जो चर्चाएं रहीं, संभवत: उसके पीछे लखनऊ स्तर से लिया एक फ़ीडबैक रहा।  लखनऊ से जौनपुर के कई गाँवों में कुछ दिनों पहले पहुँची बंसल की टीम ने प्रधान, बीडीसी और बूथ प्रभारियों से संपर्क किया था तो उन्होंने कहा था कि सांसद अपेक्षाकृत क्षेत्र में कम आते हैं। सीमा द्विवेदी भी रेस में हैं। जौनपुर के एक-दो विधायक भी दौड़-भाग लगाए हैं।जौनपुर निवासी और लखनऊ कार्यालय में दखल रखने वाले भी टिकट चाहते हैं। कहा जा रहा है बीजेपी ने जातीय समीकरणों के आधार पर तीन नाम तय कर रखे हैं। इंतज़ार है गठबंधन प्रत्याशी की घोषणा का।
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